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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

बुधवार, 9 अगस्त 2017

भाई की व्यथा

चन्दन रोली कुमकुम लेकर
पहुंची बहन भैया के घर
राखी का त्यौहार है आया
मन में लगी अपनों से मिलाया

बहना जब द्वारे पर आई
दरवाज़े पर ताला जड़ा था
देख बहन ठिठकी कुछ देर को
फिर चल दी वापस अपने घर

भैया आज कहाँ हो तुम
बहन द्वार से लौट रही
मेरी राखी ढूंढ रही है
आज मेरे भाई की कलाई
कैसे सुनी रह जाएगी

तभी भैया पर पड़ी नज़र तो
बहना चौक पड़ी
तुम हो यहाँ तो घर पर ताला
कौन लगा आया है

बहना मेरी न पूछो तुम
बड़ा बुरा है हाल
भाभी तेरी बांध रही है
राखी अपने भाई को
कहीं खलल ना पड़ जाए
मुझे बाहर है दिया निकाल!

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