यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

शिक्षा

शिक्षा,  शिक्षित,  और शैक्षणिक संस्थान  ये सब आपस में ऐसे जुड़े है  जैसे एक माँ से बच्चे के हृदय के तार  जो दिखाई कभी नहीं देता  पर बच्चों के...

शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

स्त्री

जन्म से संसार में 
सृजन करने को है आई 
अर्पण ही स्वभाव उसका 
दर्पण में है ढालना 
कोई कमी रह जाए ना 
ढालना सांचे में खुदको 
हर नयन से सिख लेती 
हर नयन में ढूंढती 
तस्वीर मेरी कौन-सी है 
जो कभी दर्पण में देखा 
या कभी जग ने दिखाया 
माँ ने हमको क्या सिखाया 
और दुनिया ने बताया 

तू नहीं है बिटिया रानी 
बोझ है तू इस धरा पर 
है नहीं चाहत तेरी कोई 
हो नहीं आहट तेरी कोई 
मेरी ही परछाई बनकर 
तू सदा रह जाएगी 

हमने चाहा तो दिखाया 
हमने चाहा तो छिपाया 
हमने चाहा तो सताया 
तुम को आगे रखना भी 
हिस्सा मेरी नीतियों का 

कब तक छदम का जंग लड़ोगे 
हम पर कुठारा घात करोगे 
हम बने है ऐसी मिट्टी के 
लाख़ जतन कर लोगे फिर भी 
हमें न तुम तोड़ पाओगे 

स्त्री अमरत्व का नाम है 
स्त्री प्रेम का प्रतीक है  
स्त्री दया का सागर है 
स्त्री जीवन में खुशियाँ है  
स्त्री चेहरे की मुस्कान है 
स्त्री निर्मल और पवित्र है 

इसे दिल से महसूस तो करो 
जीवन परिपूर्ण हो जाएगा 
स्त्री माँ,बहन,बेटी ही नहीं 
हर घर में पूजी जाने वाली लक्ष्मी भी है 
इसकी क़द्र करके तो देखो 
ज़िन्दगी जन्नत बन जाएगी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें