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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

विचार

कुछ कदम हमें आगे बढाने ही होंगे
वर्षों से पड़ी धुल
रिश्तों से हटाने ही होंगे
ख़ामोशी की बढती हुई ऊँची दीवार
को खुद से गिराना ही होगा
काश हमारी धरती
फिर से जन्नत बन जाए
रिश्तों में वही मिठास
फिर से लौट आये
हर घर में खुशियाँ हो
सबको अपनों का साथ मिले
सच्चाई और सादगी हर चेहरे से झलके
हमारे प्यार और खुशियों से
रौशन पूरा संसार हो
जीत हो मेरी और सबकी हार हो
ऐसे विचारों का हम में कभी न संचार हो
हम तभी खुश रह पायेंगे
जब खुशियाँ चारों ओर हो
किसी से कोई गिला-शिकवा न हो
हर ओर अपनत्व का संचार हो
कोशिश अगर हम कुछ करे
तो सामने से हाथ खुद-ब-खुद बढ़ जायेंगे.

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