यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शनिवार, 29 दिसंबर 2018

मेरे प्यारे बच्चों

तुम तारों से दीपक बनकर
एक दिन नम पर छा जाना
करो न तुम विश्राम कभी
ये जीवन पूर्ण विराम नहीं
हर कदम लक्ष्य की ओर बढ़ो
धीमे-धीमे चलकर ही सही
इस कठिन डगर को पार करो
निर्भय निर्लोभ सदा रहना
पग-पग पर तुम डटकर चलना
बस हार-जीत की उलझन में
खुद को उलझाकर मत रखना
हर रोज़ परीक्षा देनी है
हर कदम हमें सिखलाता है
तुम नित्य नए बधाओं से
लड़कर खुद को मजबूत करो
तुम हृदय प्रेम की झरना से
सीचों मुरझाये कलियों को
यह वक्त तुम्हे मुश्किल से मिला
इसे व्यर्थ न यूँ ही जाने दो
हर कठिन डगर पर हिम्मत और कोशिश
ही जीत दिलाती है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें