तुम तारों से दीपक बनकर
एक दिन नम पर छा जाना
करो न तुम विश्राम कभी
ये जीवन पूर्ण विराम नहीं
हर कदम लक्ष्य की ओर बढ़ो
धीमे-धीमे चलकर ही सही
इस कठिन डगर को पार करो
निर्भय निर्लोभ सदा रहना
पग-पग पर तुम डटकर चलना
बस हार-जीत की उलझन में
खुद को उलझाकर मत रखना
हर रोज़ परीक्षा देनी है
हर कदम हमें सिखलाता है
तुम नित्य नए बधाओं से
लड़कर खुद को मजबूत करो
तुम हृदय प्रेम की झरना से
सीचों मुरझाये कलियों को
यह वक्त तुम्हे मुश्किल से मिला
इसे व्यर्थ न यूँ ही जाने दो
हर कठिन डगर पर हिम्मत और कोशिश
ही जीत दिलाती है.
एक दिन नम पर छा जाना
करो न तुम विश्राम कभी
ये जीवन पूर्ण विराम नहीं
हर कदम लक्ष्य की ओर बढ़ो
धीमे-धीमे चलकर ही सही
इस कठिन डगर को पार करो
निर्भय निर्लोभ सदा रहना
पग-पग पर तुम डटकर चलना
बस हार-जीत की उलझन में
खुद को उलझाकर मत रखना
हर रोज़ परीक्षा देनी है
हर कदम हमें सिखलाता है
तुम नित्य नए बधाओं से
लड़कर खुद को मजबूत करो
तुम हृदय प्रेम की झरना से
सीचों मुरझाये कलियों को
यह वक्त तुम्हे मुश्किल से मिला
इसे व्यर्थ न यूँ ही जाने दो
हर कठिन डगर पर हिम्मत और कोशिश
ही जीत दिलाती है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें