मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
आँखों में सपने थे ढेरो अरमान थे दिल में कुछ अलग करने की हमने भी ठानी थी सपने बड़े बड़े थे पर साधन बहुत सीमित थे मंज़िल आँखों के सामने थी ...
मेरे बच्चों पढ़ते जाओ
आगे -आगे बढ़ते जाओ
विद्या का वरदान मिलेगा
गुरु से विद्या दान मिलेगा
कदम - कदम पर साथ मिलेगा
गुरु का सर पर हाथ मिलेगा
आसमान पर चढ़ते जाओ
खुशियों का संसार बसाओ
आगे -आगे बढ़ते जाओ।
सुन्दर सृजन
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएं