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शनिवार, 24 मार्च 2018

मौसम

हर ओर ख़ुशी है छाई
मौसम ने ली अंगड़ाई
पतझड़ के बाद वसंत है आई
सूखे पत्ते झड-झड कर
चारों ओर है फैले
शीतल हवा के झोकों से
उड़ते ये सूखे पत्ते
हर कानों में मधुर ध्वनि
माहौल में ख़ुशियाँ फैलाते
मन उमंग से भर तब जाता
हम गीत फाग के गाते
फसल हमारे घर तक आते
नए-नए पकवान बनाते
मौसम तेरा क्या जादू है
कभी ख़ुशी तो कभी ग़मों का
सागर लेकर आते
घर-घर में खुशियाँ फैला कर
फिर तुम घर को जाते
नई उमंगें नया सवेरा
हमको देकर जाते
मेरे सूने जीवन में तुम
नए रंग भर जाते
फूलों की मुस्कान सदा ही
अपने दिल को भाति
रंग-बिरंगे फुल खिले है
प्रकृति का श्रृंगार सुहाना
अपने मन को भाया
जीवन में भी रंग हो ऐसे
हर मन में खुशियाँ हो इतनी
जितनी वसंत में रौनक.

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