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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

सोमवार, 5 मार्च 2018

तुम बिन

तुम बिन हर चीज़ आधी है
हर ख़ुशी अधूरी सी
हर लम्हा उदास है
हर बात आधी सी

तुम बिन फूल भी काँटे नज़र आते है
अपने भी बेगाने सा सुलूक करते है
हर किसी की नज़रे घूरती है
जैसे हमने कोई बड़ा अपराध कर दिया है
सच्चाई भी बेबसी का चादर ओढ़ लेती है
अपनी साँसे भी खुद को डराने लगती है

तुम हो तो ज़िन्दगी रूहानी है
तुम हो तो मौसम सुहाना
तुम हो तो हर घड़ी हर दिन
वसंत का मौसम है

तुम हो तो लम्हा-लम्हा
जीवन खुशनुमा बन जाता है
तुम हो तो जीवन में रंग सारे है
तुमसे हँसी तुमसे ख़ुशी
तुम से ही ज़िन्दगी के धुप-छाँव सारे है.

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