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तुम से तुम तक

इस ज़िन्दगी की गीत में  नीत नए संगीत में  हर घड़ी हर लम्हे में  मेरी साँसों में मेरी धड़कन में  हर जगह तुम साथ हो  बीते 27 वर्षों में  आदत तुम्...

बुधवार, 5 मार्च 2025

प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों 

है कठिन बहुत पीड़ा सहना 

इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा 

निःशब्द अश्रु धारा बनकर 

मन की पीड़ा बह निकली तब 

है शब्द कहाँ कुछ कहने को 

धीरज धरने का धैर्य कहाँ 

अपने बस में कुछ आज नहीं 

मन को कैसे बहलाऊँ मै

कैसे समझाऊं तेरे बिन 

जीवन पथ पर बढ़ जाऊँ मै

तेरा कुढ़ना तेरा चिढ़ना 

सब आज मुझे तड़पाता है 

कहता है दिल कोई बात नहीं 

तुम लौट के फिर आ जाओ ही 

हम ऐसे ही जी लेते जैसे जीते थे अब तक 

कोई गिला कोई है शिकवा 

है आज नहीं मेरा तुमसे 

वो सुबह शाम वो रात कहाँ 

सब सुना - सुना आज यहाँ

मैं भूल गया जीना तेरे बिन 

हँसना और रोना तेरे बिन। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 06 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 06 मार्च 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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