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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

खामोशी

ये कैसी खामोशी है
ये कैसा भोर हुआ है
हर ओर उदासी छाई
सन्नाटा हर ओर है फैला
है विश्व युद्ध की आहट
है छद्दम युद्ध यह फैला
है बीच खड़े हम सब
जीवन और मृत्यु के
मानव जीवन पर कैसा
ये संकट घोर है आया

ये कैसी खामोशी है
ये कैसा भोर हुआ है
सूर्य तुम्हारे प्रथम किरण को 
संजो कर रख लेंगे 
ये उद्देश्य हमारा है 
हम नहीं डीगेंगे इससे 
जल्दी इस घोर घडी से 
पार भी हम उतरेंगे 
देवों की इस धरती को 
फिर से पावन कर लेंगे 

ये कैसी खामोशी है
ये कैसा भोर हुआ है 
कुछ छुट रहा है पीछे 
कुछ आगे को आना है 
कर्तव्य हमारा हर दम 
हो अपने देश के खातिर 
इस विकट घडी में सबको 
मिलकर आगे बढ़ना है। 

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