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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

रविवार, 5 अप्रैल 2020

आओ मिलकर दिया जलाए

आओ मिलकर दिया जलाए
गीत ख़ुशी के हम सब गाये
अंधकार को दूर भगाए
बैर को प्रेम से आज हराए
हर दिल में एक आस जगाये

आओ मिलकर दिया जलाए
हर दिल में विश्वास जगाये
स्याह रात की काली छाया
समझो अब मिटने वाला है
करुणा की इस कठिन घडी का
आज अंत आने वाला है

आओ मिलकर दिया जलाए
अंधकार की तिमिर घटा को
अपने दिल से दूर भागो
डर के जीना डर कर मरना
कब तक ऐसे जी पाओगे

आओ मिलकर दिया जलाए
द्वार खोलकर तुम देखो तो
बाहर बड़ी भली दुनिया है
देखो तुम इतिहास उठाकर
रक्तपात और नफरत से
कोई जीत न पाया है

आओ मिलकर दिया जलाए
सब मिलकर के खुशियाँ बाटें
अपने घर भी खुशियाँ लाए
जब मिलकर रहना सीखोगे
मर्म ख़ुशी का तब समझोगे

आओ मिलकर दिया जलाए....

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