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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

यादें

सूनी-सूनी अखियों में
भीगी-भीगी रतियों में
सूनी-सूनी गलियों में
दिल रोये मेरा तुम बिन
घर की दीवारों में
गम की अहातों से
मुँह जो चिढ़ाए मुझे
बतिया सुनाए मुझे
तानों की बातों से
नैन भिगोए मेरे
यादों की बातों ने
सूनी-सूनी अखियों में

भीगी-भीगी रतियों में 

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