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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

बेरंग ज़िन्दगी

दुनिया में बिखरे हज़ारों रंग
पर क्यों है हम सब की
बेरंग ज़िन्दगी
रिश्तों के नाम में
कितनी मधुरता है
पर वक्त ने उसकी
मिठास भी लेली
हम सब जानते हैं
कि रिश्ते अनमोल होते हैं
पर क़द्र उसकी कौन करता है
जिसने भी रिश्तों की क़द्र की
लोग उसे जाहिल समझते हैं
आज अपने सपनों में हम सब
ऐसे खो गए है कि
हकीकत सामने है
पर दिखाई कुछ नहीं देता
जब टुटता  है घर हमारा
ज़माने को कोस  लेते हैं
पर कभी सोचा है हमने
कि जो हम रोज बोते है
वही तो काटना होगा
हम भी उसी के दायरे में आज आते हैं
क्या वाकई में वक्त इतना बदल गया है
दिल माँ की मूरत से
पत्थर में ढल गया है
सांस चल रही है
पर वक्त थम गया है !!

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