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मेरे ख्वाब

रात कली कोई ख्वाब में आई  और गले का हार हुई  हँसता हुआ था उसका चेहरा  आँखों में कोई रंग था गहरा  होठ गुलाबी, आँख शराबी  चाल में मादकता झलकी ...

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

दिल्ली

दिल्ली दिल है हमारा
जहाँ बसती हैं संस्कृति कि धारा
हर मोहल्ले में है मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा
हर घर में एक  नई  धुन बजती है
पर सदियों से हम
एकता की मशाल जलाता आया हूँ

पर आज चंद् लोगों के स्वार्थ
हमारी एकता पर  भारी पर रही है
हर ओर नफरत का बिज़ बोया जा रहा है
ओर बोया ही क्यों न जाए
क्योंकि हमने अपनी सोंच को संकुचित कर लिया है

ऐसी ताकते जब-जब प्रबल होती है
वक़्त एक नई करवट लेता है
हर भारतवासी से मैं अपील करती हूँ
अपनी ताकत को पहचानो
ओर इसे सही दिशा में लगा दो

सिर्फ खुद के लिए मत सोंचो
ये देश हमारा है
देश ओर हमारा विकास
अलग-अलग नहीं हो सकता
देश को तोरकर
खुद का विकाश कर भी लिया तो क्या
विकसित कभी नहीं कहलाओगे
देश का समग्र विकास ही हमारा समग्र विकास है!!  

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

न मेरी राह रोकना

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
ये सिलसिला जो चल पड़ा
न अंत इसका हो कभी

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
हैं कदम जो चल पड़े
सदा बढ़ेंगे आगे हम

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
न अब है मुड़के देखना
जोश में कमी नहीं
होश में हैं आ गए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
ज़िन्दगी के काश मकश में
राह हमने चुन लिए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
छोड़ परायो-अपनों का गम
निर्विवाद अब चल दिए
जो भी आया सामने
अपना सभी को कह लिए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना। 

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

जीवन

सूर्य सा तेज
चाँद सी शीतलता
फूलों सी खुशबू
ज़िन्दगी के हर क्षण में
गुलाबों की कोमलता
गुलाब के काटों सी सख्ती
कमल के पुष्पों सी पवित्रता
नदियों के जल सी निर्मलता
बर्फ की सफेदी सी स्वच्छता
बादलों सी गहराई
पवन सी स्वछंदता
आसूं सी व्याकुलता
चांदनी रात सी रौशनी
यही तो है
अपने जीवन का सार
इसी से उदय
इसी में अस्त
जीवन तो जीवन है
हर पल वो मस्त है
कभी उदय
तो कभी अस्त है। 

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

बढ़े चलो

बढ़े चलो, बढ़े चलो
बढ़े चलो तुम अभी
कदम दर कदम
हर कदम मुश्किलों से
तेरा सामना होगा
हर कदम राह रोकने को
आयेंगे कुछ लोग
पर हौसला रखना
इसी में ढूँढना होगा
छुपे उन रहनुमाओं को
जो तेरे क़दमों को
इज्ज़त बक्श ना जाने
जिनके हौसला से
हर कदम ताकत मिलेगी तुमको

शुक्रिया उनका करो
जिसने तुम्हारे राह में रोड़े बनाए
शुक्रिया उनका करो
जिसने तुम्हारे काम में कमियाँ निकाली
शायद उनकी मेहरबानी ने सिखाया
हर कदम मज़बूत हो कर आगे बढ़ना

जिद्द मेरी जज़्बात से जब जुड़ गया
रास्ते आसान होते ही गए
अब तो जैसे आदतों में ढल गया
हर कदम पर सीख कर कुछ उनसे जाना
कुछ नए आयाम अपनी जिंदगी में लाना
हौसला भी अपना भी एक दिन रंग लाएगा
एक नई पहचान मुझको भी दिलाएगा

मंजिले मुश्किल थी मेरी
राह कंकर से भरा
अपने भी बेगाने बनकर
सामने थे हर समय
पर ख़ुशी उन संस्कारों का
हमें हर दम रहा
जिन की विरासत पूर्वजों है मिली।

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

देश हमारा

ए कैसा है देश हमारा
कैसे देश के वासी
जिस डाली पर बैठे है वो
उसी को काट रहे है
कभी सी.ए.ए. कभी एन.आर.सी.
कभी बहाना 370
देश तोड़ना भ्रम फहलाना
बन गया कुछ लोगों का काम

आतंकवाद की रोज़ी रोटी
कितने दिन तक खाओगे
देश जलाकर अपना तुम
शरण कहाँ को पाओगे
घुसपैठियों के संग-संग
अपना राग मिलाओगे

अपने देश के अमन चैन को
खुद के हाथों मिटाओगे
एक दिन ऐसा आएगा जब
तुम खुद ही मिट जाओगे

देश तोड़ने की खातिर
जो भी हाथ बढ़ाएगा
उसको मुँह की खानी होगी
अब भारत कमज़ोर नहीं
भारत माता के सपूत को
आज किसी का ख़ौफ़ नहीं

यह देश है वीर सपूतों का
यह देवों की धरती है
नापाक इरादा रखने वालो 
संभल जाओ
अंगारे से खेलना हम जानते है
तूफानों से लड़ कर
विजय पताका फहराना भी जानते है

हमने सब्र से काम लिया
ये गलती नहीं हमारी है
नासमझो ये मत भूलों
अंजाम तुम्हरा बाकी है

हैं अखंड ये देश हमारा
खंडित कभी न होगा
इसे तोड़ने के सपने को
पूरा कभी न कर पाओगे
अपने गुरूर के मद्ध में
अपनी ही बलि चढ़ा जाओगे। 

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

नारी

नारी सृजन, नारी अमन
नारी ही लिखती है सदा
हर विनाश की पटकथा
नारी वो गूढ़ तत्त्व है
नारी वो उलझा सत्य है
जिसको समझना व्यर्थ है
जितना समझना चाहते
उतना उलझते जा रहे

नारी सृजन, नारी अमन
नारी है उपवन की महक
आती पवन की झोकों सी
खुशियों का दामन थाम कर
खुद दुखी रह कर भी
खुशियां बिखेरती है सदा

नारी सृजन, नारी अमन
नारी है रिश्तों का चमन
चाहे हो नन्ही बेटियां
या हो दादी अम्मा घर की
हर रूप में अपनी जगह
है प्रेम सागर सा भरा

नारी सृजन, नारी अमन
नारी सुनहरी धुप है
नारी वो चंचल छाँव है
जिसके तले जो बैठता
दामन हो खुशियों से भरा

नारी सृजन, नारी अमन
नारी अमर वो प्रेम है
जिसकी कथाएँ हर सदी में
लिखती इबारत है नयी

नारी सृजन, नारी अमन
नारी मिलन में मीत है
नारी विरह का गीत है
नारी नयन में नीर है
नारी हृदय में धड़कनो में

नारी सृजन, नारी अमन
जीवन के हर कण में नारी
जीवन के धड़कन में नारी
जीवन के हर छण में नारी
नारी की सीमा अन्नत है
नारी की महिमा अन्नत है। 

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

जीवन की डोर

सदा निरंतन हरि गुण गाओ
साईं के चरणों में शीष नवाओ
प्रेम भक्ति की ज्योत जलाओ
मानव सेवा धर्म बनाओ

सदा निरंतन हरि गुण गाओ
साईं के चरणों में शीष नवाओ
अधिकारों और कर्तव्यों में
ताल-मेल तुम सदा बिठाओं
धैर्य साथ लो, कर्म हाथ लो
खुद का जीवन पुण्य बना लो

सदा निरंतन हरि गुण गाओ
साईं के चरणों में शीष नवाओ
सदाचार सदभाव बनाओ 
सत्य अहिंसा धर्म बनाओ
मार्ग सत्य का सदा अपनाओ

सदा निरंतन हरि गुण गाओ
साईं के चरणों में शीष नवाओ।

सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

पति-पत्नी संवाद

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
इतने वर्षों में  तुमने क्या 
मुझे कभी जाना है 
मेरे मन को क्या भाता है 
मेरा दिल क्या चाहे 

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
छोड़ मैं अपने घर को आयी 
भाई-बहन माँ-बाप सभी को 
घर का कोना-कोना मुझसे 
कितना प्यार किया करता था 
गली-मोहल्ले वाले भी सब 
मुझको याद किया करते है 

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
जीवन के कितने वसंत तो 
हम-तुम साथ रहे है 
फिर भी यादों में वो गलियां 
आज भी घुमा करती हूँ 
वो बचपन की यादें मेरी 
संग-संग मेरे चलती है 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती 
प्रियतम तुमने सही कहा है 
जब तुमने अपना घर छोड़ा 
एक नया संसार बसाया 
नए-नए रिश्तों के संग 
ताल-मेल तुमने बैठाया 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती  
अनजाने लोगों के बीच 
तुमने अपना संसार बसाया 
बिटियाँ से बहुरानी बन कर 
मेरे घर का मान बढ़ाया 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती 
मेरे घर नन्ही गुड़िया ला 
सौगात मुझे अनमोल दिया 
अब हम मम्मी-पापा बनकर 
नए-नए करतब करते है 
गुड़ियाँ के आँखों की खुशियां 
अपनी आँखों में भरते है 
गुड़ियाँ की किलकारी सुन कर 
जब पूरा घर खिल उठता है
हम भी खुशियों से भर कर 
अपनी खुशियों को जी लेते है। 

शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

प्रकृति की गोद में

कही धूंध थी, कही ठिठुरन थी
कही बर्फ था, कही ओस की कुछ बूंदे थी
हर तरफ मौसम में
एक अजीब सी उलझन थी
कुछ पौधे सीना तान कर
मौसम से लड़ रहे थे
कुछ ने तो जैसे
अपनी साँसे ही थाम ली थी

कही धूंध थी, कही ठिठुरन थी
हर तरफ धरती
सफ़ेद चादर में लिपटी थी
प्रकृति का अद्भुत दृश्य
मन को प्रफुल्लित कर रहा था
मन खिडकियां और दरवाजें खोल कर
उड़ने को कर रहा था

कही धूंध थी, कही ठिठुरन थी
मन मचल रहा था
जैसे कह रहा हो
देर क्यों करते हो
बढ़ चलो शामिल हो जाओ
उन खूबसूरत चिड़ियों के झूंड में
जिन्हें डर नहीं होता किसी अनहोनी का
जिन्हें भय नहीं होता जीने और मरने का

कही धूंध थी, कही ठिठुरन थी
तुम भी जी लो जीवन के कुछ क्षण
उलझन से दूर प्रकृति की गोद में
कही धूंध थी, कही ठिठुरन थी
जहां तक नज़रे जाती
हर्फ़ तरफ बर्फ ही बर्फ था।