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सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

बढ़े चलो

बढ़े चलो, बढ़े चलो
बढ़े चलो तुम अभी
कदम दर कदम
हर कदम मुश्किलों से
तेरा सामना होगा
हर कदम राह रोकने को
आयेंगे कुछ लोग
पर हौसला रखना
इसी में ढूँढना होगा
छुपे उन रहनुमाओं को
जो तेरे क़दमों को
इज्ज़त बक्श ना जाने
जिनके हौसला से
हर कदम ताकत मिलेगी तुमको

शुक्रिया उनका करो
जिसने तुम्हारे राह में रोड़े बनाए
शुक्रिया उनका करो
जिसने तुम्हारे काम में कमियाँ निकाली
शायद उनकी मेहरबानी ने सिखाया
हर कदम मज़बूत हो कर आगे बढ़ना

जिद्द मेरी जज़्बात से जब जुड़ गया
रास्ते आसान होते ही गए
अब तो जैसे आदतों में ढल गया
हर कदम पर सीख कर कुछ उनसे जाना
कुछ नए आयाम अपनी जिंदगी में लाना
हौसला भी अपना भी एक दिन रंग लाएगा
एक नई पहचान मुझको भी दिलाएगा

मंजिले मुश्किल थी मेरी
राह कंकर से भरा
अपने भी बेगाने बनकर
सामने थे हर समय
पर ख़ुशी उन संस्कारों का
हमें हर दम रहा
जिन की विरासत पूर्वजों है मिली।

2 टिप्‍पणियां:

  1. मुश्किले मुझे पे इतनी पड़ी के असां हो गयी..... ग़ालिब की ये पंक्ति याद आ गयी.
    हौसला बढ़ाती... लगातार अपने कार्य में बने रहने को कहती हुई रचना बहुत सुंदर बनी है.

    आइयेगा- प्रार्थना

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