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रविवार, 9 फ़रवरी 2020

देश हमारा

ए कैसा है देश हमारा
कैसे देश के वासी
जिस डाली पर बैठे है वो
उसी को काट रहे है
कभी सी.ए.ए. कभी एन.आर.सी.
कभी बहाना 370
देश तोड़ना भ्रम फहलाना
बन गया कुछ लोगों का काम

आतंकवाद की रोज़ी रोटी
कितने दिन तक खाओगे
देश जलाकर अपना तुम
शरण कहाँ को पाओगे
घुसपैठियों के संग-संग
अपना राग मिलाओगे

अपने देश के अमन चैन को
खुद के हाथों मिटाओगे
एक दिन ऐसा आएगा जब
तुम खुद ही मिट जाओगे

देश तोड़ने की खातिर
जो भी हाथ बढ़ाएगा
उसको मुँह की खानी होगी
अब भारत कमज़ोर नहीं
भारत माता के सपूत को
आज किसी का ख़ौफ़ नहीं

यह देश है वीर सपूतों का
यह देवों की धरती है
नापाक इरादा रखने वालो 
संभल जाओ
अंगारे से खेलना हम जानते है
तूफानों से लड़ कर
विजय पताका फहराना भी जानते है

हमने सब्र से काम लिया
ये गलती नहीं हमारी है
नासमझो ये मत भूलों
अंजाम तुम्हरा बाकी है

हैं अखंड ये देश हमारा
खंडित कभी न होगा
इसे तोड़ने के सपने को
पूरा कभी न कर पाओगे
अपने गुरूर के मद्ध में
अपनी ही बलि चढ़ा जाओगे। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (10-02-2020) को 'खंडहर में उग आयी है काई' (चर्चा अंक 3607) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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