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अयोध्या धाम

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सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

पति-पत्नी संवाद

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
इतने वर्षों में  तुमने क्या 
मुझे कभी जाना है 
मेरे मन को क्या भाता है 
मेरा दिल क्या चाहे 

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
छोड़ मैं अपने घर को आयी 
भाई-बहन माँ-बाप सभी को 
घर का कोना-कोना मुझसे 
कितना प्यार किया करता था 
गली-मोहल्ले वाले भी सब 
मुझको याद किया करते है 

प्रियतम मेरा जीवन क्या है 
एक कोरा सा पन्ना 
जीवन के कितने वसंत तो 
हम-तुम साथ रहे है 
फिर भी यादों में वो गलियां 
आज भी घुमा करती हूँ 
वो बचपन की यादें मेरी 
संग-संग मेरे चलती है 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती 
प्रियतम तुमने सही कहा है 
जब तुमने अपना घर छोड़ा 
एक नया संसार बसाया 
नए-नए रिश्तों के संग 
ताल-मेल तुमने बैठाया 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती  
अनजाने लोगों के बीच 
तुमने अपना संसार बसाया 
बिटियाँ से बहुरानी बन कर 
मेरे घर का मान बढ़ाया 

प्रियतम मेरा-तेरा जीवन  
जैसे दीप और बाती 
मेरे घर नन्ही गुड़िया ला 
सौगात मुझे अनमोल दिया 
अब हम मम्मी-पापा बनकर 
नए-नए करतब करते है 
गुड़ियाँ के आँखों की खुशियां 
अपनी आँखों में भरते है 
गुड़ियाँ की किलकारी सुन कर 
जब पूरा घर खिल उठता है
हम भी खुशियों से भर कर 
अपनी खुशियों को जी लेते है। 

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