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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

दिल्ली

दिल्ली दिल है हमारा
जहाँ बसती हैं संस्कृति कि धारा
हर मोहल्ले में है मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा
हर घर में एक  नई  धुन बजती है
पर सदियों से हम
एकता की मशाल जलाता आया हूँ

पर आज चंद् लोगों के स्वार्थ
हमारी एकता पर  भारी पर रही है
हर ओर नफरत का बिज़ बोया जा रहा है
ओर बोया ही क्यों न जाए
क्योंकि हमने अपनी सोंच को संकुचित कर लिया है

ऐसी ताकते जब-जब प्रबल होती है
वक़्त एक नई करवट लेता है
हर भारतवासी से मैं अपील करती हूँ
अपनी ताकत को पहचानो
ओर इसे सही दिशा में लगा दो

सिर्फ खुद के लिए मत सोंचो
ये देश हमारा है
देश ओर हमारा विकास
अलग-अलग नहीं हो सकता
देश को तोरकर
खुद का विकाश कर भी लिया तो क्या
विकसित कभी नहीं कहलाओगे
देश का समग्र विकास ही हमारा समग्र विकास है!!  

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