यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

मेरे मामा

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा 
चाँद तारों से प्यारा मेरा मामा
लाये खुशियां बहारों का मामा 
बच्चों के मुस्कान है मामा 
बच्चों के सरदार है मामा 
घर - घर के मेहमान है मामा 

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा 
चाँद तारों से प्यारा मेरा मामा
आज आये है घर मेरे मामा 
लाये ढेरों सौगात मेरे मामा 
पूरे घर के दुलारे मेरे मामा 

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा 
चाँद तारों से प्यारा मेरा मामा
लाये खुशिओं के सौगात मामा 
मम्मी और मुझको 
दोनों को लगते प्यारे मेरे मामा 
दुःख - सुख में साथ निभाते मेरे मामा 
चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा 
चाँद तारों से प्यारा मेरा मामा। 

सोमवार, 24 अगस्त 2020

कुछ रिश्ते

कुछ दर्द निभाना बाकी  है 
कुछ दर्द दिखाना बाकी है 
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए 
कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए 
उन टूटे-फूटे रिश्तों के 
जख्मों को मिटाना बाकी है 

कुछ दर्द दिखाना बाकी है 
कुछ दर्द निभाना बाकी है 
कुछ साये में तब्दील हुए 
कुछ दिल ही दिल में डूब गए 
कुछ आये तो ऐसे आये 
जैसे संसार की खुशियों में 
जीवन का रिश्ता लाये हो 

कुछ दर्द निभाना बाकी है 
कुछ दर्द दिखाना बाकी है 
कुछ ने दीपक की लौ की भाँति 
टीम-टीम करते बुझ गए सदा 
पकडू मैं किसको मुट्ठी में 
जकरू मैं किसको मुट्ठी में 

कुछ दर्द निभाना बाकी है 
कुछ दर्द दिखाना बाकी है 
कुछ अपने हो कर टूट गए 
कुछ सपने बनकर रूठ गए 
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए 
कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए 

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

ख्वाब

ख्वाब को तोड़कर नींद से
मैं अब जागने लगी हूँ
लफ्जों की मुझे अब जरूरत नहीं
चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगी हूँ 
परवाह नहीं किसी की 
अब तो मैं अकेले ही 
आगे बढ़ने लगी हूँ 
मैं हूँ तेरा ही प्रतिबिम्ब 
तुम हो कठोर चट्टान की भांति 
तो कैसे मैं कह दूँ कि 
मैं मोम बनने लगी हूँ 
तुम हो अपने जिद्द में माहिर 
तो मैं भी अब 
नित् नए संकल्प गढ़ने लगी हूँ 
मैं थी नींद में वर्षों से 
अब तो जग के रोज चलने लगी हूँ 
जीत सच्चाई की ही होती  है 
बादलों के भी उस पार 
अब स्पस्ट दिखने लगा है 
चाहे रास्ते में मुश्किलें कितनी आये 
मैं भी अपना इरादा 
मजबूत करने लगी हूँ
 आज की बदलती तस्वीरों को देखकर 
शायद मैं भी कुछ - कुछ बदलने लगी हूँ। 

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

मेरे मीत

जानते है तुम्हे मानते है तुम्हे
हर घड़ी श्याम से मांगते है तुम्हे
तुम मेरे प्रीत हो तुम मेरे मीत हो 
दिल में जादू जगाये वो संगीत हो
तुम मेरे गीत हो तुम मेरे  मीत  हो
मेरी मासूमियत मेरी मुस्कान हो
मेरी नयनों में खुशियों के तुम नीर हो
मेरी गायन हो तुम मेरे संगीत हो
मन के बीना के तारों की झंकार हो
मेरा संगीत हो तुम मेरे गीत हो।

सोमवार, 10 अगस्त 2020

मैं और तुम

मैं हूँ झोंका ठंढी पवन का
तुम बरसात की बुँदे
मैं सावन की हरियाली
तुम नन्ही ओस की बुँदे
मैं जीवन का नया रंग हूँ
तुम रंग बिरंगी तस्वीरें
मैं चंदा की चांदनी
तुम सूरज का तेज
मैं जीवन की राह बनाऊँ
तुम मंजिल बन जाना
तुम पर है सर्वस्व निछावर
तुम हो मेरा गहना
रंग बिरंगी फूलों के संग
हमको मिलकर रहना
जीवन के माला में हर दिन
नए - नए रंग भरना
मैं चँदा तुम सूरज बनकर
है नभ पर छा जाना।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

शब्द

मैं निःशब्द हूँ , शब्द बनना चाहती  हूँ
आज दिल में हूँ तुम्हारे , होठों तक आना  चाहती हूँ
शब्द से शब्द जोड़कर
अपने दिल में छुपे एहसास को
तुम तक पहुँचाना  चाहती हूँ
मैं निःशब्द हूँ , शब्द बनना  चाहती हूँ
जिंदगी के हर छण को
शब्दों में गढ़ना चाहती हूँ
तुम्हारे माध्यम से मैं वो सब कहना चाहती हूँ
जो आज भी मेरे सीने में दफन है
जो मेरा सपना था , आज मैं उसे पाना चाहती हूँ

मैं निःशब्द हूँ , शब्द बनना  चाहती हूँ
तुम मेरे हो मैं तेरी बोल बनना चाहती हूँ
मैं हूँ कलम , तुम्हे अपना किताब बनाना चाहती हूँ
जिसे मैं जब चाहूँ पढ़ सकूँ
अपने अन्तर्मन में हर वक़्त तुम्हे जी सकूँ

मैं निःशब्द हूँ , शब्द बनना  चाहती हूँ
अपने पूरे जीवन को पन्नों में दर्ज करना चाहती हूँ
जो मिल गया उसे शब्द
और जो न मिला उसे निःशब्द रखना चाहती हूँ
मैं निःशब्द हूँ , शब्द बनना  चाहती हूँ।

बुधवार, 5 अगस्त 2020

अवध

मथुरा काशी वृन्दा वासी 
राम हमारे अवध के वासी 
चित्रकूट की छँटा मनोहर 
वृन्दावन कृष्णा जी विराजे 
जगत के दाता भाग्य विधाता 
प्रभु मेरे कण -कण में विराजे 

मथुरा काशी वृन्दा वासी 
राम हमारे अवध के वासी
आज प्रभु पावन दिन आया 
अवध पूरी में गूंज राम की 
दीपोत्सव और होली संग - संग 
आज मानते अवध के वासी

मथुरा काशी वृन्दा वासी 
राम हमारे अवध के वासी 
देश हमारा झूम रहा है 
नृत्य के थाप पर घूम रहा  है 
आज राम घर आयो अवध में 
कैसी  ख़ुशी फिर छाई अवध में 


मथुरा काशी वृन्दा वासी 
राम हमारे अवध के वासी 
फिर जीवन लौट आई अवध में 
कैसी ख़ुशी फिर छाई अवध में।