कुछ दर्द निभाना बाकी है
कुछ दर्द दिखाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए
उन टूटे-फूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
कुछ दर्द दिखाना बाकी है
कुछ दर्द निभाना बाकी है
कुछ साये में तब्दील हुए
कुछ दिल ही दिल में डूब गए
कुछ आये तो ऐसे आये
जैसे संसार की खुशियों में
जीवन का रिश्ता लाये हो
कुछ दर्द निभाना बाकी है
कुछ दर्द दिखाना बाकी है
कुछ ने दीपक की लौ की भाँति
टीम-टीम करते बुझ गए सदा
पकडू मैं किसको मुट्ठी में
जकरू मैं किसको मुट्ठी में
कुछ दर्द निभाना बाकी है
कुछ दर्द दिखाना बाकी है
कुछ अपने हो कर टूट गए
कुछ सपने बनकर रूठ गए
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए
बहुत सुन्दर। बाकी कर लें सब जगह :)
जवाब देंहटाएंआपका दिल से आभार
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