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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

मेरे मीत

जानते है तुम्हे मानते है तुम्हे
हर घड़ी श्याम से मांगते है तुम्हे
तुम मेरे प्रीत हो तुम मेरे मीत हो 
दिल में जादू जगाये वो संगीत हो
तुम मेरे गीत हो तुम मेरे  मीत  हो
मेरी मासूमियत मेरी मुस्कान हो
मेरी नयनों में खुशियों के तुम नीर हो
मेरी गायन हो तुम मेरे संगीत हो
मन के बीना के तारों की झंकार हो
मेरा संगीत हो तुम मेरे गीत हो।

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