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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

गुरुवार, 21 जनवरी 2021

मेट्रो की सवारी

मेरे शहर में आ गई
मेट्रो की सवारी

बस का धक्का - मुक्का छूटा 
छूटा पीछा सड़क की जाम से 

मेट्रो से हम झटपट पहुंचे 
शहर का कोना - कोना घुमा 

झटपट आती झटपट जाती 
झटपट सबको घर पहुंचाती 

सबका टाइम बचाती  मेट्रो 
साफ - सफाई भी सिखलाती 

वक़्त पे आना वक़्त पे जाना 
वक़्त का मोल सिखाती मेट्रो 

बच्चों के मन को भाती  मेट्रो
शहर का सैर कराती मेट्रो।   
 

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