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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

ब्यथा (वैक्सीन की )

आजकल अटकलों का बाजार गर्म है
घर हो या बाहर हर जगह चर्चा मेरी है

हर ब्यक्ति चाहे बच्चा हो या बूढ़ा 
मुझे पाने को बेताब है 

कोई डरकर मुझसे मिलना चाहता है 
तो  कोई ख़ुशी-ख़ुशी 

कुछ लोगों को बड़ी जल्दी है मुझे पाने की 
वहीँ कुछ लोग हमें बदनाम करने का 
कोई मौका चूकना नहीं चाहते 

मैं सबतक पहुंचूंगी सबका साथ दूंगी 
हर ओर खुशियाँ फैले मैं पूरी कोशिश करुँगी 

चाहे मुझपर अटकलें लाख लगे 
मैं हार नहीं मानूंगी  मैं पीछे नहीं हटूंगी 

हर एक ब्यक्ति को विस्वास दिलाने की 
अपनी अनवरत कोशिश जारी रखूंगी 

कोरोना जैसे खतरनाक महामारी से 
हर एक ब्यक्ति को मुक्त कराउंगी।  

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