इस ज़िन्दगी की गीत में
नीत नए संगीत में
हर घड़ी हर लम्हे में
मेरी साँसों में मेरी धड़कन में
हर जगह तुम साथ हो
बीते 27 वर्षों में
आदत तुम्हारी हो गयी
हो मेरी आवाज़ तुम
मेरी मौन में भी तुम ही हो
हर ख़ुशी हर ग़म में तुम
परछाई तेरी कब बन गयी
कब चाहत से विश्वास में
जीवन संगिनी से ख़ास तक
ये सफ़र कब तै कर लिया
धीरे - धीरे वक्त ने
इतना सफ़र तै कर लिया
हम साथ थे हम साथ हैं
है हाथ माँ का सिर हमारे
उनके सहारे हर कठिन
मुश्किल को यूँ ही काट जायेंगे
अभी तक पार उतरे है
आगे भी पार जायेंगे।
हमराह मन मुताबिक़ हो तो ज़िंदगी का सफ़र सचमुच बहुत खूबसूरत लगता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुंदर सृजन, कहीं-कहीं वर्तनी की त्रुटियाँ खल रही हैं
जवाब देंहटाएंजब साथ हमसफर अपना होता है , हर कठिन डगर आसान हो जाती है । बहुत सुंदर भाव से सजी रचना ।
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