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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

न मेरी राह रोकना

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
ये सिलसिला जो चल पड़ा
न अंत इसका हो कभी

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
हैं कदम जो चल पड़े
सदा बढ़ेंगे आगे हम

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
न अब है मुड़के देखना
जोश में कमी नहीं
होश में हैं आ गए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
ज़िन्दगी के काश मकश में
राह हमने चुन लिए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना
छोड़ परायो-अपनों का गम
निर्विवाद अब चल दिए
जो भी आया सामने
अपना सभी को कह लिए

अभी न मुझको टोकना
न मेरी राह रोकना। 

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