अपनी छँटा धरा पर बिखेर जाती है
वसंत - पतझड़ गर्मी - सर्दी
हर चीज का हमें एहसास कराती है
रंग बिरंगे फूलों से बाग़ खिल उठता है
खट्टे - मीठे फल खा कर बच्चे खुश हो जाते है
जीवन के इस झांकी में
खट्टा - मीठा सबका एहसास हो जाता है
आम के महीने में जब कोयल कूकती है
लोग खुश होकर घरों से निकल आते है
यह हमारा ही देश है
जहाँ साड़ी ऋतुएँ आती है
खुशिओं की बरसात भी होती है
और गर्मी से हम सब परेशांन भी होते है
पर जब ठंढ आती है
हम सब रजाई में दुबक जाते हैं
घरों में अंगीठी जलाकर सब
मिलजुलकर बैठते हैं
लोहड़ी का त्योहार अपने आप में अनूठा है
हर ऋतु अपने साथ कुछ पर्व ले आते है
हमारे ठहरे जीवन को गति दे जाते है।
ऋतुएँ, ऋतु
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता।
हमारी मदद के लिए आपका बहुत - बहुत आभार
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