कैसी सजी है मरे , सपनो की मूरत
कभी झांकती , तो कभी होती ओझल
बड़ी बाबली है , बड़ी खूबसूरत
बिरह में सताती, मिलान में सताती
बचूं कैसे उसकी शैतानियों से
बड़ी बाबली है , बड़ी खूबसूरत
फूलों की पंखुडिओं से भी है कोमल
कैसे छुऊँ टूट के न बिखड़ जाये
बड़ी बाबली है , बड़ी खूबसूरत
डरता हूँ उसको नजर लग न जाए
मेरे कैदखाने से वो दर न जाए
बड़ी बाबली है , बड़ी खूबसूरत
पलक जो झपक दे , तो अँधेरी राते
नयन खोल दे चाँदनी फिर न जाये
बड़ी बाबली है , बड़ी खूबसूरत
कैसी सजी है मरे , सपनो की मूरत।
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