ज़िन्दगी एक भोर है
सूरज की तरह निकलते रहिये
ठहरेंगे एक पाँव पर तो थक जाओगे
धीरे-धीरे ही सही
मगर राह पर चलते रहिये
ये सफर खट्टे-मीठे अनुभवों का सफर है
बस इस राह पर
मुस्कुरा कर आगे बढ़ते रहिये
ज़िन्दगी भोर का उगता हुआ सूरज है
बचपन सुखद आश्चर्य का संगम है
जवानी दोपहरी की तपती हुई रेत तो
बुढ़ापा शाम की वो छॉव है
जो दुखता भी है और
ज़िन्दगी की खट्टी-मीठी यादो में
रमता भी है।
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