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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

मैं खुश हूँ

जिंदगी बड़ी छोटी है फिर भी मैं खुश हूँ
काम में भी खुश हूँ आराम में भी खुश हूँ
मैं दाल-रोटी में भी खुश हूँ 
पुआ-पकवान  में भी खुश हूँ 
जितना मिल जाए मैं उतने में ही खुश हूँ। 

जिंदगी बड़ी छोटी है फिर भी मैं खुश हूँ 
जो मुझसे खुश है मैं उसकी ख़ुशी में ही खुश हूँ 
पर जो नाराज है उसके अंदाज में ही खुश हूँ 
किसी को पाकर मैं खुश हूँ 
किसी ने मुझे खो दिया 
उसकी सोंचकर मैं खुश हूँ। 

जिंदगी बड़ी छोटी है फिर भी मैं खुश हूँ 
जो पल बित  गया 
उसकी यादों में खुश हूँ 
जो आनेवाला  है 
उसके इंतजार में खुश हूँ। 

जिंदगी बड़ी छोटी है फिर भी मैं खुश हूँ 
हँसता हुआ बीत रहा है अपना हर पल 
मैं  जिंदगी के हर एक पल में खुश हूँ
मैं भीड़ में भी खुश हूँ 
अकेले में भी खुश हूँ। 

मैं सुख में भी खुश हूँ 
मैं दुःख में भी खुश हूँ 
जिंदगी बड़ी छोटी है
मैं फिर भी खुश हूँ। 

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