मैं बादल बन जाती
उम्र - घुमर धरती पर आकर
मैं फिर से प्रलय मचाती
कहीं पे बाढ़ तो कहीं पे सुखा
जल -थल -नभ पर छाति
कितना अच्छा होता
मैं बादल बन जाती
मैं बादल बन जाती
धरती माँ कि प्यास बुझाती
हरियाली फैलाती
फूल - पत्तियों पर रुक कर मैं
फिर मोती बन जाती
मैं बादल बन जाती
गरज - गरज कर सबको डराती
झम - झम कर फिर बरस भी जाती
गर्मी से तपते मौसम में
मैं फुहार बनकर आती
मैं बादल बन जाती उमर - घुमर कर
रोज सवेरे मैं फुहार बरसाती
हरियाली कि खातिर हरदम
मैं अमृत बन जाती
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