यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

भोलू भाई

भोलू भाई भोलू भाई
क्यों रूठे हो भोलू भाई
गाल फूला कर आंख सूजाकर 
क्यों बैठे हो नहोलू भाई 

देखो  मैं क्या  लेकर आई 
गुड्डा - गुड़िया और मिठाई 
लेलो चॉकलेट और मिठाई
 छोड़ो जिद्द अब कुश हो जाओ
रोना धोना भूल भी जाओ 

माँ ने क्या दो चपत लगाई 
या हो गई छोटी से लड़ाई 
चलो घूमकर आते है 
नए खिलौने लाते है 

भोलू भाई तुम हो मेरे 
सबसे प्यारे भाई 
जब राखी की थाली लेकर 
मैं आंगन में आती हूँ 
तुम्हे देख हर्षाति  हूँ।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें