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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

जंग

जंग करने मैं चला
जंगी जहाजों में बैठकर 
छोड़कर अपनों का साथ 
धुल में सब मिल गए 
गए वो सब छोड़कर 
रोते -बिलखते अपना आशियाँ 

जंग से हांसिल नहीं 
होती कभी भी शांति 
छोड़ दो हथियार तुम 
मिलकर बैठते है 
कुछ कहो तुम 
कुछ मेरी भी सुन लो 


कोई भी मतभेद ऐसा नहीं 
जिसे हम सुलझा न सके 
क्यों विनाश को निमंत्रण देते हो 
हम साथ है तुम्हारे 
हर दुःख सुख में 

माना  कि तुमने हमें
 हरदम छला ही है 
पर हम परोसी के 
कर्तब्य से चुकूँगा नहीं 
ये वादा है हमारा 

कोई लौटकर आता नहीं 
जो युद्ध में हमसे बिछड़ गए 
जंग कोई साधन नहीं 
जो प्यार हममे घोल दे 
वो तो ऐसा जहर है
 जो दूर सबको कर दे 


2 टिप्‍पणियां:

  1. सच युद्ध का परिणाम कभी भी सुकून लेकर नहीं आता, यह सबके लिए सुखदाई होता है
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता जी आपका बहुत - बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं