जंगी जहाजों में बैठकर
छोड़कर अपनों का साथ
धुल में सब मिल गए
गए वो सब छोड़कर
रोते -बिलखते अपना आशियाँ
जंग से हांसिल नहीं
होती कभी भी शांति
छोड़ दो हथियार तुम
मिलकर बैठते है
कुछ कहो तुम
कुछ मेरी भी सुन लो
कोई भी मतभेद ऐसा नहीं
जिसे हम सुलझा न सके
क्यों विनाश को निमंत्रण देते हो
हम साथ है तुम्हारे
हर दुःख सुख में
माना कि तुमने हमें
हरदम छला ही है
पर हम परोसी के
कर्तब्य से चुकूँगा नहीं
ये वादा है हमारा
कोई लौटकर आता नहीं
जो युद्ध में हमसे बिछड़ गए
जंग कोई साधन नहीं
जो प्यार हममे घोल दे
वो तो ऐसा जहर है
जो दूर सबको कर दे
सच युद्ध का परिणाम कभी भी सुकून लेकर नहीं आता, यह सबके लिए सुखदाई होता है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
कविता जी आपका बहुत - बहुत आभार
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