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शनिवार, 19 सितंबर 2020

जुगाड़ की जिंदगी

जुगति भइल जुगति फल पइली
कहाँ - कहाँ हम जुगत लगइली
सबके सुनी-सुनी मन में रखली 
मन ही मन आँसू टपकईली

कहाँ - कहाँ हम जुगत लगइली 
कदम -कदम पर पइली परीक्षा 
नाता -रिस्ता सबहुँ गबईलि 
पर मर्यादा सब हम निबहलि

कहाँ - कहाँ हम जुगत लगइली 
बाल -बच्चा के कर्म सिकईली 
कभी थक के मन थोड़ा ठण्ढईली 
फिर उत्साह से कदम बढ़ईली 

कहाँ - कहाँ हम जुगत लगइली 
धीरे -धीरे कदम बढ़ईली 
हर दिक्क्त से पार उपरली 
अपन घर परिवार बचइली 
कहाँ - कहाँ हम जुगत लगइली।

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