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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

अकेलापन

अकेलेपन के एहसास ने
हमें अंदर तक हिला दिया
चिंतन जो अभी शुरू हुई थी 
ब्रेक उसपर लग गया 


तुम्हारी यादों से कबतक 
मन को बहलाऊंगी
रेत  के शहर में 
प[पानी कहाँ से ढूंढ पाऊँगी 

प्यास आँखों की तो बुझ पाती नहीं 
अपने गले को कहाँ से तर कर पाऊँगी 
यह जिंदगी तो बस अकेलेपन से 
एकांत की ओर चलने वाली एक यात्रा है 

यह यात्रा तो निरंतर चलती रहती है 
पथ और पथिक का रिस्ता भी 
अनबरत चलता रहता है 
कभी मौन तुमसे बातें करता है 
तो कभी मौन मुझसे भी कुछ कहता है    

मंगलवार, 24 नवंबर 2020

किरायेदार

हमसब किरायेदार है उस मालिक के 
जिसने हमें बनाया 
इस धरा पर ला के बसाया
मौसम , पानी , अग्नि और वायु दी 
जीने का हर मर्म हमें समझाया 
जीवन की हर खुशियां हम पर बरसाई 

पर हम मानव कितने स्वार्थी है 
कि हर बात को भूलकर 
हमने खुद को ही सर्वश्रेठ बतलाया 
हर अच्छाई को छोड़कर , बुड़ाई को ही अपनाया
जीवन के हर मर्म को समझने के बजाए 
विलासिता की होड़ में ही हरदम भागे 

दुनिया बनाने वाले ने हमें सर्वश्रेष्ठ 
इसलिए नहीं बनाया कि हम 
उसी की सत्ता को चुनौती देने लगे 
जो घर हमें सिर्फ रहने के लिए मिला था 
उसे हम हमेशा के लिए अपना कहने लगे 

ये धरती तो एक रंगमंच  है 
और हम सब इसके कलाकार 
घर अपना हो या किराये का 
हम सब है तो एक किरायेदार ही 
मालिक को जब तक हम मंच पर अच्छे लगेंगे तबतक ठीक है 
वरना पर्दा गिर जाएगा और हम नए रोल के लिए निकल जाएंगे।    

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

तारे

छोटे - छोटे नन्हे - नन्हे
झिलमिल - झिलमिल करते तारे
आसमान में चमक रहे हैं 
जैसे चंदा के हो प्यारे 

छोटे - छोटे नन्हे - नन्हे 
झिलमिल - झिलमिल करते तारे
रात अँधेरी जब होती है 
राह दिखाते हैं  ये तारे 

छोटे - छोटे नन्हे - नन्हे 
झिलमिल - झिलमिल करते तारे
सूरज दादा जब आते हैं  
ये छूमंतर हो जाते हैं 

छोटे - छोटे नन्हे - नन्हे 
झिलमिल - झिलमिल करते तारे
कभी बादल में छुप जाते हैं तो कभी 
टीम - टीम कर गाते हैं।  

 

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

तन्हाई

हर जगह भीड़ ही भीड़ है
फिर भी लोग तन्हा क्यों है
हर मन में एक डर है 
हर चेहरा सहमा - सहमा सा है 
कल क्या होगा हम लड़कर जीतेंगे या 
कोई हमारी सजी हुई विरासत को 
उजाड़ कर चला जायेगा 
पता नहीं किसकी नजर लग गयी है
 हमारी हंसती खेलती दुनिया को 

पता नहीं हम इतना डरते क्यों है 
हर घडी संभल - संभल कर चलते क्यों है 
तूफान के आने से इतना डरते क्यों है 
सबकुछ उलट - पलट कर जायेगा 
हम ऐसा बहम ही पालते क्यों है 
क्या पता इस तूफान में 
कोई अच्छी बात हो 
जो हमारे सारे गम दूर कर जाए 
और खुशियां अपने दामन में बिखर जाए।  

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

वीर जवान

मेरी आन बान शान है तू
मेरे तिरंगे की पहचान है तू
रुके न तू थके न तू 
झुके न तू थमे न तू 
मेरे देश का अरमान है तू 

तेरे क़दमों में निशार सारी दुनिया 
मेरे हर जज्बात की पहचान है तू 
हर घर में जले दिया बनकर तू 
हर दिल में बसे  बनकर शहीद 

मेरी आन बान शान है तू 
मेरे तिरंगे की पहचान है तू
दुनिया सैनिक कहती है तुझे 
पर मेरे दिल में तो तू 
मेरे हर धरकन का एहसास है तू। 

आवश्यक सुचना (UPDATED)

मैं आपको हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि मेरी प्रथम कविता संग्रह "मेरी भावना" के नाम से Google Play Books पर और अन्य दो संग्रह "मेरी अभिव्यक्ति" और "कविता सागर" के नाम से Amazon Kindle पर e-book के रूप में उपलब्ध है। "मेरी भावना" का Paperback संस्करण Flipkart पर भी उपलब्ध है। अतः आपसे अनुरोध है कि आप पढ़े और अपना विचार व्यक्त करे।  















शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

मिट्ठू तोता

दादी माँ ने तोता पाला
करता हरदम गड़बड़ झाला
कभी किसी के नाम बिगाड़े
कभी किसी डांट लगाए
पर हरदम बस एक नाम की
वह माला है जपता 
मिट्ठू राम मिट्ठू राम 

दादी माँ ने तोता पाला 
करता हरदम गड़बड़ झाला 
जो सब बोले वही वो बोले 
करता हरदम राम - राम 
सबके संग मिलकर वह बोले 
आओ बैठो राम - राम जी 

दादी माँ ने तोता पाला 
करता हरदम गड़बड़ झाला 
दादी माँ का है वह प्यारा 
मेरी आँखों का है तारा 
गली मोहल्ले सब को भाए 
कितनी भी वह कमी निकाले।  


सोमवार, 9 नवंबर 2020

कुछ वक़्त देदो

आज मैं थका हूँ, कुछ वक़्त देदो
मैं तुम्हे देखकर रूका हूँ , कुछ वक़्त देदो
जिंदगी आज है उदास 
उसे सँभालने के लिए , कुछ वक़्त देदो 

जब मैं छोटा बच्चा था 
हरदम हँसता रहता था
हरदम अपने धुन में मगन रहता था  
पर आज हंसने के लिए थोड़ा वक़्त देदो 

जब मैं काम की तलाश में 
इधर - उधर भटक रहा था 
कितना सीधा कितना सच्चा था
पर आज सम्भलने के लिए 
कुछ और वक़्त देदो 

सब कुछ है बिखरा - बिखरा 
गम तो हजार है जीवन में
पर उसे गिनने के लिए 
कुछ और वक़्त देदो 

सुबह होने ही वाली है 
पर हमें निखरने के लिए 
कुछ और वक़्त देदो। ..........?

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
सुबह सवेरे उठ जाती हो 
ना  जाने क्या - क्या गाती हो 
सबके मन को तुम भाती  हो

चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
हो बच्चा या बूढी अम्मा 
सोंच - सोंच सब चकराते हैं 
क्या तुमको पढ़ना - लिखना है 
या फिर कोई ऑफिस करना है 


चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
क्यों फिर तुम जल्दी उठती हो 
सुबह सवेरे क्या करती हो 
क्या गा कर तुम  नहीं  थकती हो 
जाने क्या - क्या तुम करती हो। 



 

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

किसान

किसान बनना आसन नहीं 
पूरे  जगत का पेट भरना
कोई छोटा सा काम नहीं
सबके चेहरे पर हंसी बिखेरना 
सबका हो पेट भरा चिंता न हो कलह की 
ऐसा मुकाम पाना आसन नहीं 

किसान बनना आसन नहीं 
धुप हो या गर्मी हर मौसम में 
घर के बाहर हर मौसम में 
बाहर काम करना 
आसान नहीं है 
मौसम से बार - बार लड़ना 

किसान बनना आसन नहीं 
बाढ़ सुखार हो या ओला वृष्टि 
हर वॉर किसान को है झेलना 
तो कभी टिड्डियों का प्रहार 
धैर्य बनाकर साहस के संग 
हर मौसम को झेलना . .....



बुधवार, 4 नवंबर 2020

कोयल

काली कोयल बोल रही है
मन में मिसरी घोल रही है
उसके सुर में ऐसा जादू 
संग  - संग सब बोल रहे है

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
कोयल ने मौसम को भी 
खुद के पास में बांध लिया है 
कोयल गाये पेड़ झूमते 
सायं - सायं कर हवा चली है 

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
आमों के डाली पर मंजर 
फुट - फूटकर निकल रहे है 
कोयल के सुन्दर गायन पे 
अम्बर - धरती झूम रही है 

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
कोयल के गाने के आगे 
मेघदूत भी दोल गए हैं 
रिमझिम - रिमझिम पड़ी फुहारें 
हर मन में खुशियां भर आई। 

सोमवार, 2 नवंबर 2020

मोटू राम

गोल  मटोल मोटू राम
चलते हैं वो पेट निकाल
चलते - चलते थक जाते हैं 
बैठ छांव में ठंढाते हैं  
घड़ी - घड़ी वो शर्माते हैं 

गोल  मटोल मोटू राम 
हाथ में हरदम थाली खाने की 
थाली में हो ढेर मिठाई 
वो है खाने के शौकीन 
तोंद निकल गई मोटू राम की 

गोल  मटोल मोटू राम 
पहन के चश्मा गोल - मटोल 
चल देते हैं मोटू राम 
बांध घड़ी वो ठुमक के चलते 


गोल  मटोल मोटू राम 
मस्त गली में आते - जाते 
हंसी ठिठोली सब दे करते 
हर घर में है आना - जाना 
है कमल के मोटू राम।