करता हरदम गड़बड़ झाला
कभी किसी के नाम बिगाड़े
कभी किसी डांट लगाए
पर हरदम बस एक नाम की
वह माला है जपता
मिट्ठू राम मिट्ठू राम
दादी माँ ने तोता पाला
करता हरदम गड़बड़ झाला
करता हरदम गड़बड़ झाला
जो सब बोले वही वो बोले
करता हरदम राम - राम
सबके संग मिलकर वह बोले
आओ बैठो राम - राम जी
दादी माँ ने तोता पाला
करता हरदम गड़बड़ झाला
करता हरदम गड़बड़ झाला
दादी माँ का है वह प्यारा
मेरी आँखों का है तारा
गली मोहल्ले सब को भाए
कितनी भी वह कमी निकाले।
बहुत बढिया रचना
जवाब देंहटाएंहमारी रचनाओं को अपना वक़्त देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार
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