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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

चिड़िया रानी

चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
सुबह सवेरे उठ जाती हो 
ना  जाने क्या - क्या गाती हो 
सबके मन को तुम भाती  हो

चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
हो बच्चा या बूढी अम्मा 
सोंच - सोंच सब चकराते हैं 
क्या तुमको पढ़ना - लिखना है 
या फिर कोई ऑफिस करना है 


चिड़िया रानी चिड़िया रानी 
तुम हो सारे जगत की रानी
क्यों फिर तुम जल्दी उठती हो 
सुबह सवेरे क्या करती हो 
क्या गा कर तुम  नहीं  थकती हो 
जाने क्या - क्या तुम करती हो। 



 

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