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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

बुधवार, 4 नवंबर 2020

कोयल

काली कोयल बोल रही है
मन में मिसरी घोल रही है
उसके सुर में ऐसा जादू 
संग  - संग सब बोल रहे है

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
कोयल ने मौसम को भी 
खुद के पास में बांध लिया है 
कोयल गाये पेड़ झूमते 
सायं - सायं कर हवा चली है 

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
आमों के डाली पर मंजर 
फुट - फूटकर निकल रहे है 
कोयल के सुन्दर गायन पे 
अम्बर - धरती झूम रही है 

काली कोयल बोल रही है 
मन में मिसरी घोल रही है
कोयल के गाने के आगे 
मेघदूत भी दोल गए हैं 
रिमझिम - रिमझिम पड़ी फुहारें 
हर मन में खुशियां भर आई। 

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