फिर भी लोग तन्हा क्यों है
हर मन में एक डर है
हर चेहरा सहमा - सहमा सा है
कल क्या होगा हम लड़कर जीतेंगे या
कोई हमारी सजी हुई विरासत को
उजाड़ कर चला जायेगा
पता नहीं किसकी नजर लग गयी है
हमारी हंसती खेलती दुनिया को
पता नहीं हम इतना डरते क्यों है
हर घडी संभल - संभल कर चलते क्यों है
तूफान के आने से इतना डरते क्यों है
सबकुछ उलट - पलट कर जायेगा
हम ऐसा बहम ही पालते क्यों है
क्या पता इस तूफान में
कोई अच्छी बात हो
जो हमारे सारे गम दूर कर जाए
और खुशियां अपने दामन में बिखर जाए।
सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंthanks sir
हटाएंबेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंthanks Mam
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