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प्रियतम

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गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

बेटी की पुकार

मैया मोहे प्यार करो
मैं चंद बरस ही साथ रहूंगी
बिटिया तू आँखों का तारा
मेरे दिल का टुकड़ा हैं तू
पर मजबूरी हैं समाज की
प्यार तो दिल में बहुत हैं मेरे
पर दिखला नहीं सकती!

मैया मोहे प्यार करो
मैं चंद बरस ही साथ रहूंगी
मैं तेरे दिल का हूं टुकड़ा
दर्द तेरा झट से समझूंगी
बिना कहे मैं जान लेती हूं
तेरे मन की उथल-पुथल!

पर माँ तू कमज़ोर न बनना
मैं तेरा हर काम करुँगी
मेरे जन्म के खातिर मैया
अब तेरा अपमान न होगा!

जीवन को पैगाम बनाने की ताकत
मैं रखती हूं माँ
अपनी माँ को दुनिया में
सम्मान दिलाने की ख़ातिर
हर बेटी अब जाग उठी हैं!

जीवन का यह सार समझ माँ
हम जननी हैं सृजन हमारा काम
मेरे पुत्र मुझे ही माने
दुनिया भर का बोझ
उन्हें नहीं हैं भान ज़रा भी
मेरे बिन अस्तित्व का उनका

कोई नहीं हैं नाम!!

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