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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

सम्यक् कर्म

“सभी के कार्य पवित्र होने चाहिए. पवित्र कार्यों के माध्यम से मनुष्य अपने मानवत्व को प्रकाशित करता हैं. मानवत्व के मार्ग को समझ सकता हैं.”

“भगवान बुद्ध ने कार्य के तीन नियम बनाए. हाथ अच्छे काम करे. सत्य कंठ का भूषण हैं. पवित्र कथाओं को सुनना कान का आभूषण हैं.”


-    सत्य साईबाबा 

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