न जानू कोई विधि विधान प्रभु
ना मंत्रो का हैं ज्ञान हमें प्रभु
मंगल कार्य करूँ मैं हरदम
इतना दे दो ज्ञान प्रभु
ना फूलों की माला लाई
ना नैवैध चढ़ाने को
खाली हाथ चली आई मैं
प्यार तुम्हारा पाने को
सब आते महंगी कारों में
मैं तो पैदल आई हूँ
लाइन बड़ी लंबी लगती हैं
महंगे भेट चढ़ाने को
मैं कोने में खड़ी देखती
दुनिया के इस जगमग को
पंडित भी खुश हो जाते हैं
ऐसे भक्त के आने पर....
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