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रविवार, 9 अप्रैल 2017

मेरी माँ

अगर माँ न होती तो मैं कैसे होती
कौन लोरी सुनकर हमें फिर सुलाती
बड़े प्यार से हमको खाना खिलाती
हमें अपने पैरों पर चलना सिखाती!

अगर माँ न होती तो मैं कैसे होती
हमें उलझनों से बचाती हैं हर दम
फर्क हमको सिखाती गलत और सही में
हमें मुश्किलों से हैं लड़ना सिखाती!

अगर माँ न होती तो मैं कैसे होती
हमें ज्ञान का पहला पाठ पढ़ाती
हमें ज़िन्दगी का सबक दे के जाती
हमें प्यार करना सभी से सिखाती!

हमें तो ख़ुदा ने रहम से नवाज़ा
ममतामयी माँ का तोहफ़ा दिया हैं
दुनिया की सारी ख़ुशी मुझसे ले लो
जो मुझमें किया हैं इनायत न छीनो
मेरी माँ का साया सदा मुझको दे दो!

प्रभु माँ का साया सभी को मिले
माँ की ममता से वंचित न हो कोई घर
माँ की ममता हैं अनमोल सबके लिए
माँ तो गौरव है अपने संतान की!

माँ की छाया प्रभु का तो वरदान हैं
जो हमें हैं मिला वो तो अनमोल हैं
माँ की आदर सदा उसका सम्मान हैं
क़र्ज़ माँ का चुका कोई सकता नहीं
माँ के सम्मान में कोई कमी न रहे

ऐसी कोशिश हो हरदम संतान की!

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