रात का सपना
कब होता हैं अपना
रोज़ का रोना हैं यह
फिर तुम क्यों डरते हो
करना जो तुम वही करो
पर कुछ भी दर कर न करो!
करना हैं जो करो
मन को अपने वश में करो
सोचों न जो बीत गया
पर आने वाले दिन को जियो!
करना हैं जो करो
चाँद की दूरी घटती जा रही हैं
पर अपनों के बीच चाँद से भी बड़ी दूरी हैं
हर आदमी की अपनी एक मजबूरी हैं!
करना हैं जो करो
सबकुछ अपने वश में हो
ऐसा वहम कभी न करो
जी लो हर दिन को
चाहे खट्टा हो या मीठा
अनुभव तो अनुभव हैं
कभी तो काम आएगी
आँखों में आँसू दे कर हो
या चेहरे पर मुस्कराहट
हर कीमत पर ज़िन्दगी
एक अनमोल हीरा हैं
इसको सहेज के रखना ही हैं
प्रभु की बंदगी!!
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