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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

बुधवार, 9 सितंबर 2020

अनाम रिस्ता

ये कैसे दिन है , जो तेरे बिन है
सांसों में अपने चाहत की धुन है
तन्हाईओं की खामोश रातें
दिन सूना -सूना  चंचल निगाहें
जीवन पर भारी ये गमगीन राहें 
बेमौत मरने की ये क्या दवा है 
मुझे तुझको खोने की ये क्या सज़ा है 
मेरी आँखें नाम है  दिल मेरा गमगीन 
किसे मैं बताऊ कि जाने से तेरे 
हमें गम भी उतना फिकर जितनी तुमको 
फर्क सिर्फ ये है कि वो संग तेरे 
विरह में तो हम है 
है नाम आपके रिश्ते का 
बदनाम हम है 
हमें नाम देकर जो अपना बनाते 
आज पत्थरों से न हम पिटे जाते 
हमें छोड़कर क्यों यैसी सजा दी 
मै अपनी विरह को क्या नाम दूँ 
सजा और दूँ या फिर प्यार दूँ 

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