यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

बुधवार, 20 दिसंबर 2023

मेरे सपने

मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

चाहकर भी मुस्कुरा पाऊँ ना मैं 

हर दिन ख़ुशी की चाह में आँखे हमारी नम हुई 

बंद आँखों में भी सपने कभी ना तैरने 

खोलकर आँखों को कैसे स्वप्न में विचान करूँ 


मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

भोर से मायूसियो ने ढक लिया ऐसे मुझे 

शाम ढलकर भी न कोई ख्वाहिशें जागी मेरी 

पुरे दिन बोझिल थी आँखें आँसुओं के खोज में 


मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है 

चाँद तारों की चमक भी आँख में चुभ सी रही। 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ दिसम्बर २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह व‍िभा जी, मेरे सपने आज भी कुछ इस कदर सहमे हुए है ...शानदार कव‍िता

    जवाब देंहटाएं