यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

तुम से तुम तक

इस ज़िन्दगी की गीत में  नीत नए संगीत में  हर घड़ी हर लम्हे में  मेरी साँसों में मेरी धड़कन में  हर जगह तुम साथ हो  बीते 27 वर्षों में  आदत तुम्...

बुधवार, 12 जुलाई 2017

सपनो की मूरत

सपनो में सोया सपनो में खोया
मूरत कब साकार हुई
सूबहो को जब मैं नींद से जागा
आँख उन्ही से चार हुई
परी हो या हो तुम एक मूरत
चाँद सी कोमल
कजरारे है नयन तुम्हारे
मेरा हाल बेहाल हुआ
सपना अब साकार हुआ
छू करके मन शांत हुआ है
जीवन अब आनंद हुआ है
स्वर्ग से उतरी कोई पारी हो
या मेरी आँखों का ब्रम है.
सपनो से इस रंगमहल की
तुम रानी में राजा हू
ख्वाब से तुम साकार हुई
अब सपना फिर मत बन जाना
सूबहो को जब मैं नींद से जागा
धन्य-धन्य मेरे भाग्य हुए
तेरी सूरमयी अंखियो का

जादू अब छाया है मुझपर!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें