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हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

शनिवार, 22 जुलाई 2017

राखी

सखी आज राखी का त्योहार आया
मन गगन में नया धूप छाया
हर ओर ख़ुशी के फूल खिले है
रंग-बिरंगे परिधानों में
सजी-सजी बहने है सारी
भाइयो को बांध राखी
दिल में फूली नही समाती
हर कठिन वक़्त में
भाई मेरा साथ देगा
दुनिया के हर गम से मुझको
वो सदा बचाएगा
हर खुसी हर गम में
हर रिस्ता अपना निभाएगा
भाई के घर में बहन
स्थान ऊचा पाएगी
राखी के इस बंधन का
वो हरदम मान बढाएगी

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