देखो गगन में आज सब कुछ डोलता सा दिख रहा
है
देखो अकंटक बादलों से घिर गया है आसमा
है देश का दुश्मन खड़ा सीने पे अधम की तरह
है होसला चट्टान का जांबाज़ लेकर के खड़ा
तिरंगा लहराते रहे सर कट गया तो क्या
हो कर शहीद हम सदा इतिहास में छप जाएँगे
देखो गगन में आज सब कुछ डोलता सा दिख रहा
है
देखो समय के क्रोध से तन कापने उसका लगा
जैसे समय के वेग से सोता हुआ सागर जगा
भूचाल ला दूंगा जमी पर मेरे हाथ खोल दो
शासन कि मजबूरी में बंधा हुआ मजबूर हू
वरना पाकिस्तान क्या मेरे चरण की धूल है
देखो गगन में आज सब कुछ डोलता सा दिख रहा
है
शासन भी अब कर रहा मंथन हमारे साथ है
जिसकी कोई हस्ती नहीं दहाड़ वर्षो से रहा
सब्र टूटेगा अगर उड़ जाएगा तूफ़ान में
छेर मत इस शेर को महंगा तुझे पड़ जाएगा
रह अपनी सीमा में हमेशा दामन ख़ुशी से भर
दूंगा
यह देश भगत सिंह गाँधी का हर समय पड़ोसी
धर्म निभाऊंगा!!
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