यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

रविवार, 9 जुलाई 2017

वीर सपूत

तुझे कोटि-कोटि है नमन
तू वीर है सपूत
मातृभूमि तेरा फर्ज है
रुके न तू झुके न तू
यही मेरी पुकार है
रुके न तू थके न तू
सदा चले आगे बढ़े
तू वीर है प्रहार कर
तू अपना पहला वार कर
हिरण सी तुझमे फुर्ती हो
हाथियों का बल हो
भुजा-भुजा फड़क रही
हिला गगन डरा पवन
तू ऐसी ही चीत्कार कर
हिन्द की पुकार है
तू सिंह सा दहाड़ कर
तू लक्ष्य अपना भरद कर
दुनिया को दिखा दे!! 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें