चंद लम्हों की ज़रूरत हैं
खोई खुशियाँ ये हकीकत हैं
चन्द्र साँसों की गनीमत हैं
सांसे सस्ती ही हुई जाती हैं
पैसा आज भी आसमां पे छाया हैं
ख्वाहिशे दूर हुई हमसे
अपने गैरों में हुए तब्दील अब तो
गैरों से राहत की दुआं करते हैं
चंद लम्हों की ज़रूरत हैं
हम तो खुशियों को ढूंढा करते हैं
राते सुनसान सड़क दिखता हैं
दिल में सब खोया हुआ दिखता हैं
राहें अनजान बनके कटती हैं
ज़िन्दगी तूफ़ान में फसी हैं
नौकां मझदार में अटकी हैं
चंद लम्हों की ज़रूरत हैं
चाहे चंद लम्हे ही मिले
पर वो खुबसूरत हो!!!!
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