फिर भी दिल तनहा रह जाये
भीड़ का आलम ऐसा है
हर ओर निगाहें ही दिखती
फिर भी तनहा क्यों है हम सब
लम्हा लम्हा बिता जाए
लम्हा लम्हा भारी पड़ता
लम्हा लम्हा बिता जाता
हर वक्त तीक्ष्ण तलवारों से
मानव मन को काटा जाता
है प्रेम कही खो सा गया
हर रक्षक में भक्षक दीखता
लम्हा लम्हा बिता जाये
लम्हे लम्हे की कीमत से
जोड़ दो जन-जन को
है तन-मन भी देशभक्ति से
ओत-प्रोत इस जीवन को
कर उपयोग क्षण-क्षण का
बन जाओ तुम सर्वोपरी
लम्हा लम्हा बिता जाए
तनहा तनहा क्यों रह जाये।
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